श्रीगंगानगर में भारतीय ने कहा कि जिस तरह विभिन्न प्रकार के वादों और विमर्शों ने साहित्य को बांटकर साहित्य का नुकसान किया है. उसी तरह लघुकथाकारों के मठ बन जाने से लघुकथा का वह विकास नहीं हो पाया है, जिसकी वह हकदार थी.
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